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जन्म तिथि के अनुसार अपनी ऑनलाइन कुंडली प्राप्त करें
एक कुंडली या पत्री सभी ज्योतिषीय व्याख्याओं और भविष्यवाणियों के लिए प्रारंभिक दस्तावेज़ होती है। कुंडली या पत्री ऊपर से देखने में सिर्फ़ एक चार्ट जैसी लग सकती है, लेकिन इसके पीछे बहुत कुछ होता है। यह वास्तव में विस्तृत गणनाओं के =88===2==2माध्यम से बनाई जाती है, जो विभिन्न तरीकों का उपयोग करती हैं और खगोलशास्त्र तथा यहां तक कि खगोल-भौतिकी की अवधारणाओं से प्रेरित होती हैं।
कुंडली में 12 भावों, 12 राशियों और 9 ग्रहों (पश्चिमी ज्योतिष में 12 ग्रहों) का उपयोग होता है। इसे या तो आयताकार रूप (चार भुजाओं) में या वृत्ताकार रूप (गोला) में दर्शाया जाता है। भारत में कुंडली या चार्ट बनाने की तीन प्रमुख प्रणालियां या शैलियां हैं उत्तरी भारत, दक्षिणी भारत और पूर्वी भारत।
कुंडली मुख्य रूप से जन्म के समय बनाई जाती है, हालांकि इसे तब भी बनाया जाता है जब कोई विशेष प्रश्न पूछा जाता है और उस उद्देश्य से बनाई गई कुंडली को प्रश्न कुंडली कहा जाता है। यह तब भी बनाई जाती है जब कोई शुभ कार्य किया जा रहा हो, जैसे कि नौकरी की शुरुआत या नया व्यवसाय आरंभ करना। कुछ संस्कृतियों में, जब किसी कन्या को पहली बार मासिक धर्म आता है, तब भी कुंडली बनाई जाती है, और कुछ में जब कोई व्यक्ति 60 वर्ष की आयु पूरी करता है और षष्टिपूर्ति नाम का समारोह किया जाता है, तब भी कुंडली बनाई जाती है।
षष्ठीपूर्ती 60वें जन्मदिन या 60 वर्ष पूरे होने पर मनाया जाने वाला एक पारंपरिक हिंदू समारोह है। जहां “षष्ठी” का अर्थ 60, और “पूर्ति” का अर्थ पूरा होना होता है। यह समारोह, व्यक्ति के जीवन के छह दशकों के पूरा होने का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।
लड़के और लड़की की कुंडलियां अक्सर विवाह की गुणवत्ता और स्थायित्व का पता लगाने के लिए और भविष्य की संतान के जन्म और स्वास्थ्य की संभावनाओं के लिए मिलाई जाती हैं।
Astropatri बहुत ही विस्तृत ऑनलाइन कुंडली निर्माण की सुविधा प्रदान करता है। यह ऑनलाइन कुंडली मिलान या गुण मिलान की सुविधा भी देता है। ये सेवाएं निशुल्क हैं और ऑनलाइन कुंडली और ऑनलाइन कुंडली मिलान की व्याख्याओं का बड़ा हिस्सा भी नि:शुल्क है। Astropatri केवल तब शुल्क लेता है जब पैनल में शामिल ज्योतिषाचार्यों से किसी विशेष या अधिक विस्तृत व्याख्या की मांग की जाती है।
कुंडली या कुंडली (जन्म पत्री) तारामंडल का वह नक्शा है जो किसी व्यक्ति के जन्म के समय या किसी खास समय पर तैयार किया जाता है।
इसमें सूर्य, चंद्रमा और बाकी ग्रहों की उस समय की स्थिति को दिखाया जाता है, जैसे वे पृथ्वी के चारों तरफ किस जगह पर थे। कुंडली से किसी व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं जैसे स्वभाव, करियर, रिश्ते और भाग्य के बारे में जानकारी मिलती है।
कुंडली मानव बुद्धि का एक अनोखा उदाहरण है। सोचकर हैरानी होती है कि हजारों या लाखों साल पहले इंसानों को उन ग्रहों के बारे में भी ज्ञान था जो आंखों से दिखते नहीं हैं जैसे उनकी चाल कितनी तेज है, वो उल्टी दिशा में जा रहे हैं या रुके हुए हैं इस तरह कि बहुत सी जानकारी।
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ जैसे बृहत् पराशर, होरा शास्त्र, जातक पारिजात, सिद्धांत शिरोमणि आदि में कुंडली बनाने, उसके प्रकार और उसे पढ़ने के तरीकों की जानकारी दी गई है।
कुंडली का ज़िक्र हमारे वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में भी मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि कुंडली बनाने की मौजूदा पद्धति ग्रीक सभ्यता से आई है। लेकिन ज़्यादा मान्य विचार यह है कि ‘होरोस्कोप‘ शब्द असल में भारत के प्राचीन ज्योतिष में इस्तेमाल होने वाले ‘होरा’ शब्द से बना है। आप ज्योतिष की शुरुआत के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष इस सिद्धांत पर आधारित है कि आकाशीय ग्रह-नक्षत्र मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं। भले ही कुछ लोग इससे असहमत हों, लेकिन हम सभी जानते हैं कि सूर्य और चंद्रमा तो निश्चित रूप से हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं।
जब सूर्य और चंद्रमा हमारे जीवन पर इतना गहरा असर डाल सकते हैं और असल में वे हमारे अस्तित्व की नींव हैं। तो यह मानने में कोई कारण नहीं है कि बाकी ग्रहों का कोई प्रभाव नहीं होगा। यह कहना ज्यादा सही होगा कि शायद हमारी सोचने की क्षमता की एक सीमा है, लेकिन ब्रह्मांड की गणनाओं की कोई सीमा नहीं।
ज्योतिष और खासकर कुंडली में भाव, ग्रह, राशियां और नक्षत्र होते हैं। इसके अलावा दशा, गोचर, ग्रहों की स्थिति (मजबूत या कमजोर), ग्रहों का एक-दूसरे पर दृष्टि डालना और कई तरह की गणनाएं व संयोजन होते हैं। हर गणना और हर आधार कुंडली के वादे या उसकी कमी को जोड़ते हैं।
कुंडली एक आधार दस्तावेज की तरह होती है, जो ग्रहों के संदेशों को समझने के लिए की जाने वाली आगे की सभी गणनाओं की बुनियाद होती है।
कुंडली में 12 भाव होते हैं। हर भाव जीवन के किसी खास क्षेत्र को दर्शाता है।
जैसे कि पहला भाव: स्वयं, व्यक्तित्व, ऊर्जा, स्वभाव आदि।
दूसरा भाव: परिवार, धन, वाणी, दाहिनी आंख आदि।
हर भाव किस बात का प्रतिनिधित्व करता है, इसकी विस्तृत जानकारी यहां देखी जा सकती है।
वैदिक ज्योतिष 9 मुख्य ग्रहों को मानता है।
सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु।
पश्चिमी ज्योतिष प्लूटो, यूरेनस और नेपच्यून को भी शामिल करता है।
हर ग्रह पहले भाव से लेकर बारहवें भाव तक वामावर्त (anti-clockwise) दिशा में चलता है।
लेकिन राहु और केतु दक्षिणावर्त (clockwise) दिशा में चलते हैं।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार (elliptical) कक्षा में घूमती है, जो कुल 360 अंशों की होती है। इस कक्षा को 12 भागों में बांटा गया है और हर भाग को एक राशि कहा जाता है।
ये 12 राशियां इस प्रकार हैं-
तो 9 ग्रह इन बारह में से किसी भी भाव और किसी भी राशि में हो सकते हैं। एक भाव या एक राशि में एक से अधिक, यहां तक कि 8 ग्रह तक हो सकते हैं (क्योंकि राहु और केतु हमेशा एक-दूसरे के ठीक विपरीत रहते हैं, इसलिए दोनों एक साथ एक ही स्थान पर नहीं हो सकते|
वैदिक या भारतीय ज्योतिष प्रणाली राशियों से अधिक नक्षत्रों पर आधारित रही है। एक राशि 30 अंश की होती है, जबकि एक नक्षत्र 13 अंश 20 मिनट का होता है। जैसे एक राशि का अधिपति ग्रह होता है, वैसे ही प्रत्येक नक्षत्र का भी एक अधिपति ग्रह होता है। (अधिपति ग्रह का अर्थ है “स्वामी ग्रह” या “शासक ग्रह” ज्योतिष में, प्रत्येक राशि और महीने का एक अधिपति ग्रह होता है जो उस राशि या महीने को प्रभावित करता है।)
जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही नक्षत्र उस व्यक्ति की प्रारंभिक दशा को निर्धारित करता है और उसी के आधार पर जीवन की दशा प्रणाली तय होती है।
Astropatri पर नक्षत्रों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है, जहां आप प्रत्येक नक्षत्र के बारे में पढ़ सकते हैं। उन्हें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
ऑनलाइन कुंडली एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से बनाई जाती है, जिसे तकनीकी विशेषज्ञों ने ज्योतिषियों की सलाह से प्रोग्राम किया होता है।
इसकी सटीकता इस बात पर निर्भर करती है कि तकनीकी व्यक्ति और ज्योतिषीय ज्ञान देने वाले व्यक्ति की समझ कितनी गहरी है।
आम तौर पर देखा गया है कि अधिकतर वेबसाइट्स सही कुंडली बनाती हैं। अधिकांश चार्ट्स, दशाएं आदि सही ढंग से दर्शाए जाते हैं। लेकिन जब बात दोषों या योगों की पहचान की आती है, तो वहां अक्सर बारीकी की कमी देखी जाती है।
ज्योतिषशास्त्र कहता है कि अगर मंगल लग्न, चंद्र या शुक्र से 1st, 2nd, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में हो तो मांगलिक दोष माना जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि लगभग हर किसी की कुंडली में मांगलिक दोष निकलेगा।
लेकिन अगर मांगलिक दोष बनने के कुछ योग होते हैं, तो उसके प्रभाव को खत्म या कम करने वाले उससे भी अधिक योग कुंडली में मौजूद होते हैं। इसलिए किसी व्यक्ति की कुंडली में सच में मांगलिक दोष होना बहुत कम होता है।
एस्ट्रोपत्री इस मामले में अधिकांश वेबसाइट्स से अलग है। हम किसी भी योग के बनने के साथ-साथ उसके नकारे जाने की संभावनाओं को भी ध्यान में रखते हैं। हम स्वयं को सूक्ष्म ज्योतिषीय घटनाओं की सटीक गणना और प्रस्तुति में कुशल मानते हैं।
कुंडली बनाना जितना धार्मिक कार्य है, उतना ही यह एक सांस्कृतिक परंपरा भी है।
देश के ज्यादातर हिस्सों में, या उन परिवारों में जो ज्योतिष में विश्वास रखते हैं, बच्चे के जन्म के समय जन्म पत्रिका बनवाना एक सामान्य बात है। हालांकि, एक मान्यता यह भी है कि बच्चों की कुंडली किसी ज्योतिषी को केवल आपात स्थिति में ही दिखानी चाहिए।
दक्षिण भारत के कई घरों में जब किसी किशोरी (Teenage girl) को पहली बार मासिक धर्म (menstruation) होता है, तब भी कुंडली बनाई जाती है। यह परंपरा नारीत्व की गरिमा और सृष्टि की निरंतरता को आदरपूर्वक स्वीकार करती है।
कई ज्योतिषी प्रश्न कुंडली की भी सहायता लेते हैं, यानी किसी विशेष प्रश्न को पूछे जाने के समय की कुंडली बनाना। प्रश्न कुंडली वैदिक ज्योतिष का एक प्रसिद्ध और विश्वसनीय अंग है। जो अक्सर सटीक उत्तर देने में सफल होती है।
जब कोई नया कार्य जैसे नौकरी, व्यापार, घर या भवन निर्माण, नया इलाज आदि शुरू किया जाता है तब भी कुंडली बनवाने की परंपरा प्रचलित है।
कुंडली मिलान विवाह योग्य साथी की उपयुक्तता परखने का सबसे आम तरीका है। आजकल तो युवा लड़के-लड़कियां भी डेटिंग के दौरान आपस में कुंडली मिलाते हैं कभी शौक से और कभी गंभीरता से।
उत्तर भारतीय क्षेत्र: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान आदि।
फॉर्मेट: इसमें भाव (हाउस) स्थिर रहते हैं और ग्रहों की स्थितियां बदलती हैं।
विशेषता: यह कुंडली हीरे के आकार की होती है, जिससे भाव-आधारित भविष्यवाणी करना ज्योतिषियों के लिए आसान होता है।
दक्षिण भारतीय क्षेत्र: तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि।
फॉर्मेट: इसमें राशियां (Signs) स्थिर रहती हैं और लग्न के अनुसार भावों की स्थिति बदलती है।
विशेषता: यह कुंडली राशियों के स्वाभाविक क्रम को दर्शाती है, जिससे दशा और गोचर की गणनाएं सहज होती हैं।
पूर्वी भारतीय क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम आदि।
फॉर्मेट: यह शैली उत्तर और दक्षिण दोनों पद्धतियों का मिश्रण होती है, जिसमें चौकोर आकृति में हर भाव के लिए अलग बॉक्स बनाया जाता है।
विशेषता: इसमें चंद्र राशि और नक्षत्रों के आधार पर की जाने वाली भविष्यवाणी को अधिक महत्व दिया जाता है, और यह पंचांग-आधारित ज्योतिष में अधिक उपयोगी मानी जाती है।
वर और वधु की कुंडलियों (लग्न पत्रिकाओं) का मिलान, भारतीय विवाहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुंडलियां कई मानकों पर मिलाई जाती हैं और एक गुण मिलान (Guna Milan) किया जाता है।
वास्तव में यह मिलान चार मुख्य स्तरों पर होता है शारीरिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और बौद्धिक। हमारे ऋषियों ने इन चारों स्तरों पर मेल देखने के लिए बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्ण अष्टकूट गुण मिलान प्रणाली बनाई थी। (अष्ट का अर्थ होता है आठ और कूट का अर्थ होता है पहलू या कारक।)
लेकिन, ज्ञानी ज्योतिषी केवल गुणों के अंक देख कर ही संतुष्ट नहीं होते, बल्कि वे अन्य कई महत्वपूर्ण बातें भी देखते हैं जैसे सप्तम भाव, सप्तम भाव का स्वामी, उसकी स्थिति, कौन सी दशाएं चल रही हैं, लड़के और लड़की की कुंडली में शुक्र और गुरु की स्थिति आदि।
कुंडली मिलान को लेकर अक्सर यह आलोचना होती है कि यह एक प्रकार का अंधविश्वास है या फिर सिर्फ हिंदू धर्म के कुछ वर्गों में ही इसका महत्व है। बाकी किसी भी समुदाय में यह परंपरा नहीं है और इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण भी नहीं हैं कि जिनकी कुंडलियां मिलती हैं उनकी शादी बेहतर होती है।
लेकिन अगर गहराई से देखें तो हर संस्कृति में मिलान की कोई न कोई प्रक्रिया होती ही है चाहे वह सामाजिक हो, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक या शारीरिक। भारतीय संस्कृति में यह मिलान ग्रह-स्थितियों के माध्यम से किया जाता है यह बस एक और तरीका है। कुंडली या जन्म पत्रिका हमारे जीवन के कई पहलुओं का दर्पण होती है।
जब दो कुंडलियों का मिलान किया जाता है, तो दरअसल यह देखा जाता है कि दो लोग जो जीवन भर साथ रहना चाहते हैं, उनके बीच कितनी गहराई है।
कुंडली निर्माण और ज्योतिष के बारे में कई गलत धारणाएं फैली हुई हैं। यह अच्छी बात है कि कुछ लोग तर्क करते हैं और सवाल पूछते हैं कि किसी चीज़ पर आंख मूंदकर कैसे विश्वास किया जाए।
कुछ आम और प्रासंगिक सवाल जो पूछे जाते हैं जैसे-
तो चलिए इनका उत्तर समझने की कोशिश करते हैं-
कुंडली जीवन की रूपरेखा (graph) होती है, लेकिन पिछले जन्मों के कर्म अलग-अलग होते हैं।
कोई अच्छे कर्मों का फल लेकर जन्मा है, तो कोई पाप कर्मों का फल लेकर।
भले ही ग्रह-स्थितियां समान हों, लेकिन जीवन की प्रारंभिक स्थिति अलग होती है जैसे कोई पहाड़ की चोटी से चढ़ना शुरू कर रहा है, तो कोई जमीन से।
मुख्य कुण्डलियां समान हो सकती है, लेकिन उसके अंदर कई सूक्ष्म गणनाएं होती हैं वर्ग कुण्डलियां, दशाएं, ग्रह बल आदि।
यदि जन्म समय में कुछ मिनटों का भी अंतर हो, तो अनुभवी ज्योतिषी उसमें अंतर पकड़ सकते हैं।
ज्योतिष एक कठोर या अटल विज्ञान नहीं है।
यह आपके जीवन का व्यापक दायरा बताता है उसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों संकेत होते हैं।
आपकी समझ, प्रयास और दृष्टिकोण ही तय करेंगे कि आप क्या पाते हैं।
एस्त्रोपत्री का यही उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को उसके जीवन की दिशा समझाना और उसका सर्वोत्तम संभावित परिणाम दिलाने में मदद करना।
आजकल कई ज्योतिष वेबसाइट्स और ऐप्स जन्म कुंडली या Online Kundali जनरेशन सॉफ़्टवेयर उपलब्ध कराते हैं। अधिकतर सॉफ़्टवेयर मुख्य और विभाजित कुंडलियों (Divisional Charts) को बिना त्रुटि के बनाते भी हैं। लेकिन ज्यादातर प्लेटफॉर्म पर कुंडली से निकलने वाली गहराई से जुड़ी, व्यक्तिगत और विशिष्ट व्याख्या नहीं मिलती, जो कि वास्तव में होनी चाहिए।
एस्त्रो पत्री पर हम हर जीवन क्षेत्र के लिए विस्तृत और गहराई से जुड़ी कुंडली आधारित व्याख्या विकसित कर रहे हैं। यह कार्य ऐसे विद्वान ज्योतिषियों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम द्वारा किया जा रहा है जो स्वयं भी ज्योतिष के विद्यार्थी हैं। इस सॉफ्टवेयर को बनाते हुए हम एक सात्विक और पवित्र जीवनशैली का पालन कर रहे हैं। क्योंकि हम वही अभ्यास करना चाहते हैं जो हम दूसरों को बताते हैं।
जिन प्लेटफॉर्म्स ने ज्योतिष को केवल व्यापार बना दिया है, वे इसे एक कॉल सेंटर की तरह चलाते हैं जिनका उद्देश्य केवल अधिक से अधिक “पेड मिनट्स” बढ़ाना होता है। एस्त्रो पत्री पर हम इसका ठीक उल्टा करते हैं। हमारे पास कोई जूनियर या अनुभवहीन ज्योतिषी नहीं हैं। हमारे सभी ज्योतिषी आध्यात्मिक अनुशासन में जीवन जीते हैं। हम ज्योतिष को एक गंभीर, आत्मिक और वैज्ञानिक परंपरा के रूप में अपनाते हैं न कि किसी मनोरंजन के रूप में।
हमारा कुंडली निर्माण इंजन कई मायनों में विशिष्ट है। हम मांगलिक दोष की विस्तृत जानकारी, वास्तविक सूर्य राशि, दग्ध राशि, ग्रह युद्ध जैसी कई विशेष बातों पर मुफ़्त और गहराई से विश्लेषण प्रदान करते हैं। हमारे निष्पक्ष आकलन में, एस्त्रो पत्री से बनाई गई कुंडली और उसमें शामिल पहलुओं की व्याख्या अन्य सभी प्लेटफॉर्म्स की तुलना में कहीं अधिक बारीक और सटीक है।
यहां बताया गया है कि आप कुंडली कैसे बना सकते हैं:-
पहले आपको एस्ट्रो पत्री पर पंजीकरण (Register) करना होगा, पंजीकरण के लिए यहां क्लिक करें फिर आपको अपनी जन्म की जानकारी देनी होगी। जैसे जन्म तिथि, समय, और स्थान और आपकी कुंडली तुरंत तैयार होकर आपके खाते में सेव हो जाएगी।
एस्ट्रो पत्री पर आप अनगिनत कुंडलियां बना सकते हैं स्वयं की, परिवार की, मित्रों की और उन्हें अपने खाते में सेव भी कर सकते हैं। यह एस्ट्रो पत्री को विशेष बनाता है।
गुण मिलान के लिए और रिश्तों की अनुकूलता की जांच के लिए एस्ट्रो पत्री पर आप असीमित मेल कुंडलियां (Match Making) भी बना सकते हैं। आपको बस लड़के और लड़की दोनों की जानकारी देनी होती है और आपकी मेल कुंडलियां तैयार हो जाएंगी। आप एक व्यक्ति के कई संभावित मेल भी बना सकते हैं।
सभी कुंडली मिलान आपके अकाउंट में सेव रहते हैं। क्या कुंडली आधारित ज्योतिष केवल अंधविश्वास है या विज्ञान पर आधारित है?
यह देखकर खेद होता है कि ज्योतिष को आज भी उसका उचित स्थान नहीं मिल पाया है, चाहे वो इसे मानने वाले हों या इसके विरोधी। दोनों ही पक्ष कई बार इसकी गहराई और वैज्ञानिक आधार को नकार देते हैं।
वास्तव में, ज्योतिष विभिन्न खगोलीय घटनाओं की एक व्यवस्थित व्याख्या है, और खगोल शास्त्र (Astronomy) पूरी तरह ब्रह्मांड भौतिकी(Astrophysics) पर आधारित होता है।
ग्रहों की गति और स्थिति को समझने के लिए केप्लर के ग्रह गति के नियम और न्यूटन की यांत्रिकी (Mechanics) का प्रयोग किया जाता है।
एक कुंडली (जन्म पत्रिका) बनाने के लिए ग्रहों की अत्यंत सटीक स्थिति की आवश्यकता होती है। यह जानकारी एपीमेरीस डेटा (Ephemeris) से प्राप्त होती है, जो खगोलशास्त्रीय (Astrophysical) गणनाओं का परिणाम होती है।
वैदिक ज्योतिष राशियों (Vedic Astrology) की गणना वास्तविक तारों (नक्षत्रों) की स्थिति पर आधारित होती है। जबकि, पश्चिमी ज्योतिष (Western Astrology) पृथ्वी के ऋतुओं (seasons) और विषुव बिंदुओं (equinoxes) पर आधारित होती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र यह समझाता है कि पृथ्वी के अक्षीय झुकाव (axial tilt) के कारण विषुवों का पूर्व गमन (precession of equinoxes) होता है। यानी नक्षत्र समय के साथ धीरे-धीरे खिसकते हैं। वैदिक ज्योतिष इस परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए स्थिर नक्षत्रों के अनुसार आधारित राशि चक्र (Sidereal Zodiac) का उपयोग करती है।
ज्योतिष जहां ग्रहों की स्थिति को प्रभावशाली मानता है, वहीं ब्रह्मांड भौतिकी (Astrophysics) यह स्पष्ट करती है कि ग्रहों और आकाशीय पिंडों का पृथ्वी पर वास्तविक गुरुत्वीय प्रभाव होता है।
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण समुद्र की लहरों (ज्वार-भाटे) को नियंत्रित करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से मानव शरीर की शारीरिक चक्र और व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
सूर्य की गतिविधियां (जैसे सौर ज्वालाएं और विद्युत-चुंबकीय तूफ़ान) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे इंसानों का मूड और व्यवहार भी बदल सकता है।
ब्रह्मांड भौतिकी (Astrophysics) यह अध्ययन करती है कि सौर विकिरण (solar radiation), कॉस्मिक किरणें (cosmic rays) और विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र (electromagnetic fields) पृथ्वी से किस प्रकार संपर्क और प्रभाव स्थापित करते हैं।
कुछ ज्योतिषाचार्य यह मानते हैं कि इन आकाशीय ऊर्जा विकिरणों का प्रभाव मानव के जैविक (biological) और मनोवैज्ञानिक (psychological) स्तरों पर भी पड़ सकता है।
भले ही यह विचार विज्ञान की दृष्टि से अभी भी अनुमान के दायरे में आता है, लेकिन हम सभी ने अनुभव किया है कि एक धूप भरा दिन हमारे मूड को सकारात्मक बनाता है, जबकि बादलों से घिरा दिन मन को भारी कर सकता है।
चंद्रमा की लहरों पर पकड़ इतनी प्रबल मानी जाती है कि मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को अंग्रेज़ी में ‘Lunatic’ कहा जाता है, जिसका मूल शब्द ही ‘Lunar’ यानी चंद्रमा है।
ज्योतिष में ग्रहों के संयोग (conjunctions), वक्री गति (retrogrades) और गोचर (transits) को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और ये सभी घटनाएं ब्रह्मांड भौतिकी से जुड़ी होती हैं।
वक्री गति, यानी जब पृथ्वी से देखने पर कोई ग्रह पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है, वास्तव में ग्रहों की कक्षीय गति में अंतर के कारण होता है। यह एक वैज्ञानिक (Astrophysical) प्रक्रिया है, जिसे ज्योतिष में प्रतीकात्मक और मनोवैज्ञानिक संकेत के रूप में समझा जाता है।
ग्रहण (Eclipse) जिन्हें वैज्ञानिक रूप से आकाशीय संयोग से समझाया जाता है, ज्योतिष में हमेशा गहरे बदलाव लाने वाले प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण माने गए हैं।