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November 24, 2025 Author: Divya Gautom
मार्गशीर्ष मास सनातन धर्म में अपनी पवित्रता, सौम्यता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए विशेष रूप से प्रतिष्ठित माना जाता है। यह महीना भक्ति, पारिवारिक समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इसी दिव्य मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिसे हम “विवाह पंचमी” के नाम से जानते हैं। यह तिथि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आदर्श दांपत्य जीवन और परिवारिक मूल्यों का उत्सव है, जो आज भी जन–जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
पंचांग गणना के अनुसार वर्ष 2025 में विवाह पंचमी 25 नवंबर 2025 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन को श्रीराम और माता जानकी के दिव्य मिलन की पवित्र वर्षगांठ के रूप में सम्मानित किया जाता है। पूरे भारत में इस अवसर पर मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है, भजन-कीर्तन, रामचरितमानस का पाठ और शाम के समय राम–सीता विवाह की मनोहारी झांकियां आयोजित की जाती हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन श्रीराम और सीता माता की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सद्भाव, प्रेम और मधुरता बढ़ती है। जिन व्यक्तियों के विवाह में विलंब हो रहा हो या रिश्तों में तनाव हो, उनके लिए भी यह तिथि अत्यंत शुभ फलदायी कही गई है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में राजा जनक की पवित्र भूमि मिथिला में इसी पंचमी तिथि पर श्रीराम और माता सीता का पावन विवाह संपन्न हुआ था। यह विवाह केवल एक दैवीय घटना नहीं, बल्कि आदर्श और मर्यादा के शिखर पर स्थित दांपत्य जीवन का सजीव उदाहरण है। श्रीराम और माता सीता का मिलन हमें प्रेम, संयम, त्याग, विश्वास और धैर्य जैसे जीवन मूल्यों का संदेश देता है। इसलिए विवाह पंचमी को सदियों से उतनी ही श्रद्धा, उल्लास और गौरव के साथ मनाया जाता है, जितनी भव्यता के साथ त्रेता युग की मिथिला नगरी में मनाया गया था।
विवाह पंचमी पर की गई पूजा-अर्चना और व्रत को अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। कहा जाता है कि सीता–राम के विवाह की स्मृति मनाने से परिवार में सौहार्द, संतुलन और खुशहाली का वास होता है। जो लोग विवाह योग्य हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ फल देने वाला माना गया है। इस दिन किए गए संकल्प और प्रार्थनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, विवाह पंचमी पर दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। अन्न, वस्त्र, दीपदान या धन का दान करने से घर में स्थायी समृद्धि और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में आने वाली बाधाएं कम होती हैं और मन में सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है।